एस.सी.ई.आर.टी.गुडग़ांव के डिप्टी डायरैक्टर सुनील बजाज ने कहा कि शिक्षकों को पाठ्यक्रम के ज्ञान को बच्चों के दैनिक जीवन से जोडना चाहिए।हर बच्चे के अलग अनुभव व उत्तर हो सकते हैं।इसलिए कक्षा में बच्चे को अपनी बात कहने दें।रट्टा पद्धति का जमाना अब नहीं है।इसलिए बाल केंद्रित शिक्षा होनी चाहिए।वे घरौंडा के रा.कन्या वरि..मा.विधालय में आयोजित निष्ठा ट्रेनिंग में भाषा अध्यापकों को संबोधित कर रहे थे।निष्ठा कार्यक्रम मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित है।
डिप्टी डायरेक्टर ने कहा कि आज का बच्चा बहुत कुछ जानता व समझता है।इसलिए उसे कक्षा में बोलने व सोचने का मौका दें।शिक्षक बच्चे को ज्ञात से अज्ञात की ओर लेकर जाए।बच्चा देखी हुई चीज से जल्दी सीखता है।उन्होंने कहा कि बाल केंद्रित शिक्षा बनाने के लिए भाषा अध्यापकों की ज्यादां जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चे के मनोभावों को व्यक्त करने का मंच प्रदान करें।उन्होंने कहा कि शिक्षा में नवाचारी शिक्षा पद्दतियों को लागू करने के लिए निष्ठा का लाखों शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम है।
खंड शिक्षा अधिकारी महाबीर सिंह ने भी शिक्षकों से बातचीत की और उनसे कक्षा कक्ष में विभिन्न नवाचारों के साथ कार्य करने का आह्वान किया।
इस मौके पर कोआर्डिनेटर डा.नरेन्द्र कुमार, नीरु आनंद, रिसोर्स पर्सन शीना,आशा भाटिया, सुशील कुमार,प्रियंका, मुख्याध्यापक बलबीर सिंह कल्हेडी,महीपाल राणा,पवन राणा,रमेश कुमार,सुरेंद्र कुमार,संस्कृत शिक्षक राजकुमार शास्त्री, सुभाष शास्त्री, ईश्वर सिंह व पंजाबी शिक्षक नरेश सैनी उपस्थित रहे।
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