अपना खर्चा चलाने के लिए केन्द्र औऱ राज्य अपने अपने संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए राजस्व की व्यवस्था करते हैं। हलांकि संघवाद की परिकल्पना में राज्यों के पास राज्स्व के तौर पर उतने संसाधन नहीं हैं जितने केन्द्र सरकार के पास हैं इसी बात को ध्यान में रखते हुए केन्द्र की कर राशि में से एक निश्चित हिस्सा और अनुदान राज्यों को मिलता है। अब सवाल उठता है कि वो निश्चित हिस्सा कितना होगा? इसके लिए संविधान में वित्त आयोग यानी finance commission के गठन की व्यवस्था की गई है। दरअसल वित्त आयोग ही उन तरीकों और मानदंडों का निर्धारण करता है जिसके आधार पर राज्यों को केन्द्र सरकार की कर राशि से हिस्सा मिलता है। तो विशेष में हम बात करेंगे 15वें वित्त आयोग की, जानेंगे कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आयोग ने क्या क्या सिफारिशें की हैं। इसके अलावा वित्त् आयोग से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों और कार्यों को भी समझने की कोशिश करेंगे।
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